मन से मन की होली
मन से मन की होली
मन से मन की
होली खेले
रंग दे ना
मन को,
जो भी है
मन के
अंदर
रंग दे ना उनको,
एक छोटी सी
जिंदगी की
ख़्वाहिशों के
रंगों में रंग लो,
मन के कोरे से
कागज के
पन्नों को
रंग दो,
आओ जिंदगी
के हर एक
कोने को
रंग दो,
हो सकता है
तो मन को
प्रेम से
रंग दो,
मैं रंगी हूँ
इन रंगों में
आ तू भी रंग दे
इस मन को
आओ इस
अच्छाई से
बुराई को
रंग दो
घुल-मल जाये
हम तुम ऐसै
कोई रंग
जुदा ना हो ।।