बस एहसास
बस एहसास
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एक बार खुदा मुझसे मिले,
देने लगे नसीहतें।
उन्होंने कहा,
ए रतन, प्यार न कर,
प्यार की बगिया में तू खो जाएगी !
मैंने कहा ख़ुदा से,
कभी मेरे प्यार से तू मिल कर तो देख;
तू भी अपनी खुदाई भूल
हमारे बगिया का फूल बन जाएगा !
तू भी स्वर्ग छोड़,
हमारी धरा पर मुस्कुराएगा।