पत्थरों का शहर
पत्थरों का शहर
पत्थरों के शहर में ढूंढने जान चले
हम हैवानो की बस्ती में ढूंढने इंसान चले।
हम से अब तो वो भी सवाल करता है
हम से अब तो वो भी सवाल करता है,
क्यूँ छोड़ के ज़मीन को भरने उड़ान चले।
रखा हुआ है सामने भरकर मीठा शहद,
रखा हुआ है सामने भरकर मीठा शहद,
फिर क्यूँ पीने के लिए हम ज़हर थाम चले।
जहाँ में सभी अपने मतलब की बात करते हैं,
जहां मैं सभी अपने मतलब की बात करते हैं,
ये जानकर भी हम रिश्तों को क्यूं करने परवान चले।
फरियाद इस गूँगे- बहरों के शहर में किस से करे,
फ़रियाद इस गूँगे बहरों के शहर में किससे करे,
हम अपनी आवाज़ को दीवारों से क्यों मादं चले
हम अपनी आवाज को दीवारों से फिर क्यों मादं चले।