परिन्दा
परिन्दा
1 min
6.8K
पंछी बनकर उड़ना चाहता हूँ
बादलों पर सवार होकर जीना चाहता हूँ।
साँसों के साथ खलेना चाहता हूँ
कही दूर जाकर खोना चाहता हूँ।
न कोई बंदिश हो, हो बस मेरी उड़ान
इस दुनिया से अलग हो मेरी पहचान।
हवा में आज मैं भी उड़ना चाहता हूँ
एक पंछी की तरह दुनिया घूमना चाहता हूँ।
पानी से ठंडक लेकर
सूरज में जलना चाहता हूँ।
गाँव की धुल लेकर
शहर में जाना चाहता हूँ।
ये पंछी लम्हों को जीना चाहता है
अपनी किस्मत का सट्टा लगाना चाहता है।
शौहरत और नाम के लिऐ ये
पंछी लिखना चाहता है।
पानी की धार में पर कट गऐ
सूरज की गर्मी से हौसले जल गऐ।
आज वो परिन्दा पिँजरे में है
आज भी आशियाँ की खोज में है।