ग्रहण
ग्रहण
1 min
6.7K
कुछ तो लिखा है
मेरी तक़दीर में तेरे लिए
या तो तेरा होना या तेरे लिए रोना
मुद्दतो बाद कोई राह मिली इश्क़ की,
जिसकी मन्ज़िल है तू
तेरे इतना करीब हो कर
नहीं चाहता तुझसे दूर होना
खोजा करता हूँ राह में
शायद कभी तुझसे हो मिलना
पर हम तो है चाँद और सूरज
मुश्किल है अपना मिलन होना
मुद्दतो से कभी मिल भी गए दोनों
तो मुमकिन है लोगों का
अपने मिलन को ग्रहण कहना।