यदि त्योहार न होते
यदि त्योहार न होते
न बच्चो की खुशी होती
न बड़ो की ठिठोली होती
न ही लोग ढोल बजाते
यदि त्योहार न होते
न मिठाई की मनाही होती
न धर्मो की मिलाई होती
न ईश्वर के पूजन होते
यदि त्योहार न होते
न रंगो की बौछार होती
न पानी की पिचकारी होती
न पतंगो के पेंच होते
यदि त्योहार न होते
न घरों की सजावट होती
न बाज़ारो मे झिलमिल होती
न चारो ओर यूं दीपक जलते
यदि त्योहार न होते
न चाँद चाँद इंतजार होता
न मेलों में झूले लगते
न नौ दिन के उपवास होते
यदि त्योहार न होते
न संता का इंतजार होता
न कलाई पर राखी सजती
न बच्चों की झांकी होती
यदि त्योहार न होते
न सावन की बरसात होती
न मंदिरों में भीड़ होती
न शंखनाद की गूँज होती
यदि त्योहार न होते
न शेरो-शायरी की धूम होती
न चारो ओर हरियाली होती
न हम सब एकजुट होते
यदि त्योहार न होते
न होली, दिवाली, मकरसंक्रांति
न अल्लाह की पुकार होती
न सब मिल-जुल खुशी मनाते
यदि त्योहार न होते।