हवन
हवन
बलिदानी की चिताओं में,
जब अगन दिया होगा !
जाने देश का,
क्या क्या हवन होगा !
बनता नहीं कोई जवान,
यूँ ही सैनिक !
देश का उसमें,
जाने क्या क्या लगा होगा !
मिटने नहीं देंगें,
यूँ ही अपने वीर योद्धाओ को !
घात लगाने की कीमत तो
तुझे रे अरि !
यहीं, इसी धरा पर,
मिट कर ही चुकाना होगा !