नृत्य
नृत्य
शिव का तांडव, नृत्य है
गौरी का लास्य, नृत्य है
कृष्ण का रास, नृत्य है
प्रेम-मग्न राधा करती नृत्य है।
वर्षा से आनंदित वन-मोर
करता, नृत्य है
तुमसे मिल कर आज ह्रदय
मेरा कर रहा नृत्य है।
नृत्य से बढ़ती प्रीत है
नृत्य जैसे एक मधुर गीत है
नृत्य अगणित भावनाओं की
बहती धार है।
नृत्य कभी विनाश का हथियार है,
और नृत्य ही बनता फिर,
सृष्टि का आधार है
नृत्य में छिपा जीवन का सार है।