बोलोना प्रभू ,,,,,
बोलोना प्रभू ,,,,,
बैल को दिया सिंग तूने
हाथी को दिया सूंढ़ तूने
सांप को दिया जहर तूने
बिच्छू को दिया डंक तूने
ये राज है क्या ये गहरा
बोलोना प्रभू ,,,,,
शेर को दिया पंजा तूने
इन्सान को दिया दिमाग़ तूने
कमल खिलाया कीचड़ में तूने
गुलाब को खिलाया कान्टो में तूने
ये राज है क्या ये गहरा
बोलोना प्रभू ,,,,,
बडे से पेड पर छोटा सा फल
छोटे से बेल पर बडा सा फल
बडे से समुंदर में खारा पानी
छोटे से नदी में पीने का पानी
ये राज है क्या ये गहरा
बोलोना प्रभू ,,,,,
जागने को दिन तूने बनाया
सोने के लिये रात बनाई
पैसे के लिये इन्सान बनाया
इन्सान के लिये पैसा बनाया
ये राज है क्या ये गहरा
बोलो ना प्रभू ,,,,,
सोचने के लिये दिमाग़ बनाया
सुनने के लिये कान बनाया
बोलने के लिये मुह बनाया
देखने के लिये आख बनाई
फिर भी जज्बातों के लिये दिल बनाया
ये राज है क्या ये गहरा
बोलोना प्रभू ,,,,,
पेड़ को बनाया घास के लिये
घास को बनाया हिरण के लिये
हिरण को बनाया शेर के लिये
शेर को बनाया कीटक के लिये
कीटक को बनाया मिट्टी में मिलने के लिये
मिट्टी को बनाया पेड़ के लिये
ये राज है क्या ये गहरा
बोलोना प्रभू !