धीमी आँच
धीमी आँच
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तुम मुझे जानो और मैं तुम्हें
मगर किसी हड़बड़ी से विलग
हो यह जानना और समझना
तुम मुझे प्रेम दो
और मैं तुम्हें मान दूँ
मगर किसी प्रयोजन से
परे हो यह लेन-देन
तुम मेरे पास आओ और मैं तुम्हारे
मगर अहं का अजगर
न सरक आए मेरे तुम्हारे बीच
क्या रखा है किसी तुरंत खाने को
जैसे-तैसे निगलने में सिवाय अपच और
धुआँयध के आओ,
तुम और मैं कुछ देर तक सीझें
स्वाद और स्वीकार की
धीमी आँच पर