गुज़ारिश
गुज़ारिश
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कोशिश करता रहता हूँ में हर पल
कुछ करने को कुछ बदलाव लाने को
लेकिन तक़दीर साथ देता नहीं मेरा
आरज़ूओं को आज़माने को
क्या इतना बुरा हूँ में
जो किसी को सुनाई नहीं देती आह मेरी
किस के सामने हाथ ना फैलाना
शायद यही है कमज़ोरी मेरी
नादानियों से भरा पड़ा था मेरा बचपन
नाकामी और नाउम्मीदों से बीत गया आधा यौवन
उम्मीद के चिराग को अपने दिल में जलाये रखा हूँ
सायद कोई सुन ले मेरी फ़रियाद यही उम्मीद से ज़िंदा हूँ
अँधेरा के बाद रौशनी है
अमावस के बाद चांदनी है
भर दो झोली मेरी भगवन
यही मेरी आप से गुज़ारिश है