बिटिया रानी
बिटिया रानी
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दिल मानता ही नहीं की बिटिया
इतनी जल्दी बड़ी हो जायेगी
छूपम छूपी खेलती बिटिया,
ऐसे कैसे हमसे छिप जायेगी
अभी तो दिल नहीं भरा है
बिटिया के नाझ नखरे से
घर घर खेलते खेलते ऐसे कैसे
अपने पिया के घर चली जायेगी
सात फेरे क्या लेगी,
जैसे सात समंदर दूर हो जायेगी
बिटिया तो है धन पराया,
नये रिश्तों से नई दुनिया सजायेगी
बाबुल दे सकते है सिर्फ दुआ,
नहीं रोक सकते अपनी बुलबुल को
जिस घर जायेगी,
उस घर को स्वर्ग बनायेगी