बेटियां
बेटियां
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बेटियाँ बेटियाँ बेटियाँ बेटियाँ ,
करती हैं नाम रौशन बेटियाँ ।
तुलसी सी महकाती हैं ये अँगना,
रौशनी लाती ख़ुशियों की ये खिड़कियाँ ।
दहेज तुमने है माँगा तुम्हीं ने बोझ माना,
तौलते हो सामाँ सी नादाँ ये गुड़िया ।
बाबा की आँखों से अश्क़ माँ की उदासी,
चुरा लेती हैं जादू की ये पुड़िया ।
फूल सी शूल सी अभावों में पलती,
फिर भी मुस्काती हैं नन्ही सी ये चिड़िया ।
मारना मत इनको जन्म से पहले,
डाक्टर कलेक्टर अधिकारी बेटियाँ ।