नारी शक्ति
नारी शक्ति
नारी शक्ति तू क्यों घबराए
कसकर कमर उठा तलवार
निकल ऐसे पथ डगमगाए
गर्जना से तेरी आंधी भी थर्राये।
दरिंदगी भी सामने तुम्हारे सर झुकाए
दसों दिशाओं में ललकार लिए
जिधर बढ़ो जय-जयकार कर जाए
नारी शक्ति तू क्यों घबराए।
नुक्कड़ों में भी नारी शक्ति का संचार हो
ऐसी दृढ़ शक्ति का पैगाम लिए
रोक न खुद को आह लिए
तोड़ के बंधन आँचल लहराए।
यह जमीं और आसमाँ थम जाये
नाउम्मीदी भी तुझे रोक न पाए
नारी शक्ति तू क्यों घबराए
विजय पताका तू फहराए।
गगन चूमे बादल छँट जाए
कसकर कमर जो आगे आए
तूफाँ भी टकराकर झुक जाए
गूँज से तेरी वक्त भी रुक जाए।
अब जहाँ में तू क्यों शरमाए
नारी शक्ति तू क्यों घबराए।।