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Kumar Naveen

Others

5.0  

Kumar Naveen

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मोबाइल किया मतवाला

मोबाइल किया मतवाला

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फेसबुक, इंस्टा, वाट्सएप ने,

क्या गजब रचा संसार ।

रहते तो हम साथ हैं घर में,

पर बिखर रहा परिवार ।।


स्टेटस अपडेट की हममें,

लगी हुई है होड़ ।

कोई किनारे बैठा है तो,

कोई बैठा उस ओर ।।


वक्त नहीं है आपस में,

और ना दिखता अलगाव ।

रिश्ते भी ये सोच रहे,

ये कैसा स्नेह, लगाव ।।


ऑनलाइन की चाहत ने,

बस हमें शिथिल कर डाला ।

बिस्तर पर बेजान पड़े हम,

मोबाइल किया मतवाला ।।


सेल्फी ले डीपी बदलें,

हम लाइव रहें हरदम ।

कैसी चिंता, किसकी चिंता,

जब अपनों से दूर कदम ।।


माना हम आ पहुँचे हैं,

एक नई क्रांति की ओर ।

पर विकास ने निगल लिया है,

रिश्तों की नाजुक डोर ।।


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