जीवन के दिन चार
जीवन के दिन चार
सूरज की किरणों का
है प्रकृति को आधार
बदले क्षण में कालचक्र
शेष जीवन के दिन चार
कोहराम मचा हुआ कहीं
बाढ़ लेती है रौद्रावतार
बूँद बूँद को तरसे कोई
बचे जीवन के दिन चार
आतंक का साया गहरा
हो रहा प्रजातंत्र लाचार
अंतिम साँस तक लड़ना
अब जीवन के दिन चार
शिक्षा मिले नवनिर्माण की
छोड़कर हाथों से हथियार
नव युग की नींव है रखनी
रहे जीवन के दिन चार
सार्थक बने यह जन्म
हो मानवता की जयकार
हँस-बोलकर जी लीजिए
बाकी जीवन के दिन चार