नक़ाब
नक़ाब
सब की तरह नक़ाब पहने जी रहा था मैं,
साँसे तो चल रहीं थी,
पर मौत को साथ लिए जी रहा था मैं !
कट रहा था तन्हा सफ़र बिना किसी आशिक़ी के,
ज़ुबान चुप थी,
पर आँखों में, किसी हमसफ़र की आस लिए,
जी रहा था मैं!!
सब की तरह नक़ाब पहने जी रहा था मैं,
साँसे तो चल रहीं थी,
पर मौत को साथ लिए जी रहा था मैं !
कट रहा था तन्हा सफ़र बिना किसी आशिक़ी के,
ज़ुबान चुप थी,
पर आँखों में, किसी हमसफ़र की आस लिए,
जी रहा था मैं!!