ख़ुदा बड़ा है
ख़ुदा बड़ा है
ख़ुदा बड़ा है पढ़ा था हमने किताबों से
और देखा है लोगों को लड़ते तकदीरों से
रात ओढ़ लेती है चांदनी का आँचल
और देखा है चाँद को टकराते सितारों से
रंज ओ ग़म से इस भरी दुनिया में
देखा है लोगों को भागते हालातों से
तलवार की धार पर कदम रखकर जीते हैं लोग
ज़िन्दगी बोझ लगने लगी ऐसे रवायतों से
अरमान खरीदे जाते हैं दुनिया की नुमाइश में
दिल भरने लगा है इंसानियत के खरीदारों से
नेकी कर दरिया मे डाल, नेकी का नेकी है अंजाम
क्या सिर्फ किताबें भरी पड़ी है ऐसे अल्फ़ाज़ों से