Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Kanchan Jharkhande

Abstract

3  

Kanchan Jharkhande

Abstract

इश्क समाज से विपरीत नहीं

इश्क समाज से विपरीत नहीं

1 min
333


दुनिया की निगाहों में

प्रेम गुनाह क्यूँ है

तुम्हें देखना या तुम्हें 

देखते रहना

कोई पाप करती हूँ क्या?


गर तुम्हारे लफ्ज़ को

श्रवण को तरसती हूँ तो

क्या कोई पाप करती हूँ?

72 बारी की धड़कन में

हर बारी को लेने से पहले

तुम्हारा स्मरण करती हूँ तो 

क्या कोई पाप करती हूँ?


मेरे नेत्रों के बाहर सृष्टि है

मेरे नेत्रों के भीतर तुम्हें

तराशती हूँ तो

क्या कोई पाप करती हूँ?

स्वप्न हाँ स्वप्न 

कोई अभिशाप है क्या

निद्रा से पूर्व तेरे होने का

एहसास

महसूस कर तेरी लोरी को 

स्मृति करती हूँ तो

क्या कोई पाप करती हूँ?


सफ़र अनजान भी हो तो

हर आहट लगती है कि

तुम हो, तुम्हें हर वक्त

तलाशती हूँ तो

क्या कोई पाप करती हूँ?

मैं मरने से पूर्व तुम्हारी 

इजाज़त माँगती हूँ तो

क्या कोई पाप करती हूँ?



Rate this content
Log in