कैद कर बैठे हम जीवन
कैद कर बैठे हम जीवन
अतीत के पन्नों में कैद
कर बैठे हम जीवन,
आज का वजूद खो सा गया है,
कल की धुंधली यादों में।
भूल गए है जीना हम सब
आज की लकीरों में,
खुद को खोजे अक्सर हम,
कल की क्यों तस्वीरों में।
अतीत को ,अब से परे कर दिया,
और कल का दामन थाम लिया।
पर ये नहीं जाने न कल लौटेगा
न कल को देख पाएंगे।
फिर भी आज को
जाने क्यों ना पहचाने।