क्या लिखूँ
क्या लिखूँ
क्या लिखूँ?
सब कुछ तो सबने कह दिया ।
अब मैँ क्या कहूँ?
तेरे बारे में माँ ।
क्या लिखूँ ?
जब मैं बोल भी नहीं सकता था |
तू मुझसे बातें करती थी ॥
मैं सुसु से रोया, या भूख से रोता था ।
ये पहेली बस तू समझती थी ॥
तेरी जादूगरी के बारे में सबने कह दिया
अब मैँ क्या कहूँ?
तेरे बारे में माँ
क्या लिखूँ ?
मुझे गिर कर उठना तूने सिखाया है।
तू नहलाती थी तब सब कहते "आज नहाया है " ॥
दुनिया ने मेरी सूरत चाहे जैसी भी पायी हो ।
तूने मुझमें "चाँद " ही पाया है ॥
तेरे इस दुलार के बारे में सबने कह दिया ।
अब मैँ क्या कहूँ?
तेरे बारे में माँ
क्या लिखूँ ?
पैसे कितने कमाता हूँ ये सब पूछते हैं ।
रोटी खाई की नहीं , बस तू पूछती थी ॥
खुद ने चाहे एक निवाला न खाया हो ।
पर मैंने खाया की नहीं, तू ख्याल रखती थी ॥
तेरे त्याग के बारे में सबने कह दिया ।
अब मैँ क्या कहूँ?
तेरे बारे में माँ
क्या लिखूँ ?
कुछ माँगा भी तो ये,
कि मेरा बीटा सबसे अव्वल हो ॥
तूने मेरी जीत को
खुद की जीत बनाया है ।।
कोई तुझे क्या देगा माँ ,
सब कुछ तो तुझसे पाया है ॥
सब कुछ तो सबने कह दिया ।
अब मैँ क्या कहूँ?
तेरे बारे में माँ ।
क्या लिखूँ ?