बरसात
बरसात
बारिश की बूंदों के साथ
प्रकृति खिल उठी
हर ओर बस हरियाली
ही हरयाली छाई
ऐसा मे
मेरा मन भी
हर बूंद के साथ
अंगड़ाई लेने लगा
ऐसा लगा मानो
इन बूंदों
और ठंडी हवाओं के साथ
कहीं से तुम आ गए
और मुझे हौले से
अपनी बाँहों मे
भर लिया हो
इस ख्याल से
मेरी सांसें रुक गयी
और मैं उस पल को
जीने के लिए
ज़िन्दगी जीने लगी