ख्वाइश
ख्वाइश
ख्वाइश हर किसी
की मन मे होती है
हर काम उसके मन
का हो जाय यही
तो ख्वाइश होती है
हर किसी की हर
ख्वाइश कभी
पूरी नही होती है
कल एक मंच ने
मुझे मन चाहा विषय
देने का आफर दिया
थोड़ी देर विचार किया
फिर विषय शादी/विवाह
पटल पर रख दिया
परंतु उसको नही माना
अमान्य कर दिया
मे क्या करता
जब उनको मानना ही नही
बस हाँ मे हाँ मिला दिया
जब उनको मेरा विषय
मानना ही नही है
तो बोलते क्यो है
विषय तो उन्होने पहले ही
सोच लिया था
मुझे सिर्फ श्रेय देना था
पर वो भी नही दिया
घोषणा जरूर मेरे
ही नाम की कर दिया
मेरी ख्वाइश पर
पानी फेर दिया
मेरे शादी वाले विषय
को कचरे मे डाल दिया
पहले भी एकबार मेरे
साथ ऐसा हुआ था
और मेरी ख्वाइश का
गला घोट दिया था
अब तो मैने सोच लिया है
कभी किसी मंच को
विषय नही दूंगा
अपनी ख्वाइश का
गला नही घोटुंगा ।