अपने होठों से आ तूँ पैगाम लिख दे.
अपने होठों से आ तूँ पैगाम लिख दे.
अपने होठों से आ तूं पैगाम लिख दे
मेरे होंठो पे आ अपना नाम लिख दे
सुनता हूँ तूं कवितायें बहुत लिखती है
मेरे दिल पे भी कोई कलाम लिख दे
तूं बहुत चाहती मुझको देना अगर
बस मेरे नाम अपनी इक शाम लिख दे
मुझको लिखना नहीं तूँ कोई लंबा ख़त
लिखना है तो बस दिल मेरे नाम लिख दे
बड़े अदब से तूँ करती सलाम बहुत है
अपने प्यार के भी नाम इक सलाम लिख दे
जब दस्तावेज़ प्यार का है सामने पड़ा
ऐसे में ‘पवन’ नाम सरेआम लिख दे ||