जवानों के लिए
जवानों के लिए
जिनके मुस्तकबिल से,
ये चमन हरा-भरा है,
जिनके ही कारण सुरक्षित,
ये अपनी धरा है।
कारगिल के दुर्गम,
जगहों को बचाया देकर,
जान अपनी, अमर है,
हर जवान वो कहाँ मरा है ?
खून की हर बूँद से,
सींचा है इसे हम जवानों ने,
दुश्मन यहाँ आ न पाये है,
इतना दम जवानों में।
जान क्या है ? इस वतन की,
मिटटी की धरोहर है,
धरा पर लुटाने को,
जान ले हाथ में, वो लड़ा है।
हर कोई देखता है स्वार्थ,
जवान ऊपर है स्वार्थ के,
कोई बनता है जवान वो,
काम आता है परमार्थ के।
अपने बीवी बच्चों को,
हर कोई चाहता है परन्तु,
दूजों की रक्षा हेतु जो,
जान दे वो सचमुच बड़ा है।
देश करता है नमन देश के,
ऐसे बहादुर जवानों को,
मौत है शमा गर मिलना है,
उससे इन परवानों को।
वतन की रह पर जहाँ,
शहीद होते हैं जवान हँसते-हँसते,
ऐसे देश का सूरज मित्रों,
न डूबा बस हरदम चढ़ा है।