कविता-हम-तुम
कविता-हम-तुम
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खरीदा है मैने मकान जतन से
तुम सजाना उसको जतन से
इक बड़ी खिड़की रखी है तुम्हारे लिए
तुम्हें हवा के झौंकै अच्छे लगते है
तुम लगाना लाँन में फूल मेरे लिए
मुझको पता है
फूलों से तुम्हें एलरजी है
तुम मत बैठना
मैं बैठूँगा ,मुझे अच्छा लगता है
सोफा तुम खरीदना चाहती हो अपनी पंसद का
पर टी.वी मैं लूँगा अपनी पंसद की ब़ाँड का
चिन्टू के कमरे की हर चीज नीली रखेंगे
उसको नीला रंग बहुत पसंद है
उसे अच्छा लगेगा
रिमी की हर चीज उससे पूछकर रखेंगे
उसको हमारी कोई चीज पसंद नही आती
पापा का कमरा साइड वाला रखेंगे
उनको शोर बिल्कुल पसंद नहीं है
मिलके सजाएंगें अपना घर
रखें सब एक दूसरे का ख्याल
चलो मिलके सजाये
अपना आशियाना !
#positiveindia