एक हसीना
एक हसीना
तेरी यादों के सफ़र में
दिन रात चल रहा हूँ
तेरे दीदार को मैं,
पल पल तड़प रहा हूँ
मेरी तुझसे है गुज़ारिश,
तू बरस जा बनके बारिश
खुद से मिला दे मेरी जान !
जिनकी यादों में कल तक
मैं खोया रहा
उस हसीना से आज
मुलाक़ात हो गयी
जिनसे होता था ख्वाबो में
मैं रूबरू
आज उनसे ही दिल की
कुछ बात हो गयी
अब ना सुकून
ना होश है
तेरी ही यादो में
दिल मदहोश है
दिल पे मेरे
ना ज़ोर है
मेरी रूह में तू बस जा
मेरी ही साँस बनके
तुझे खुद से चुरा लूँ
तेरा अज़ीज़ बनके
मेरी बाहों में तू आ जा
मेरे अरमां मिटा जा
मुझसे ना होना तू जुदा...!