तेरे इश्क में
तेरे इश्क में
जोगीया वे
तेरे इश्क में
दिल
काबा काशी
हो गया
मन लहर बना
गंगा की
चाहत पावन
पिया की पाकर
तन दीये सा
रौशन हो गया
दिल पलपल
दरश को तरसे
एक मूरत सजी
तेरी ईश सी
मन मथुरा के
मंदिर में
बैरागी थी कभी मैं
अब जोगन
तेरी हो गई
नीज मन में
रटूँ पिया मैं
एक नाम
सुमिरन तेरा
देख मेरी पूजा की
शिद्दत
कान्हा भी
मन में हँसता
मैं कान्हा से
इतना बोलूँ
प्रेम को ही पूजा
कहते है
प्यार के परवाने !!