फासले
फासले
अस्तित्व ढलान पर है
लेकिन ढला नहीं अभी।
रेत मुट्ठी से फिसल रही है
लेकिन पूरी फिसली नहीं अभी।
वक्त है,
हाथ से निकला नहीं अभी।
राह दिखी है सही
पर रुक रुक कर चल रहे हैं सभी।
प्रकृति और मैं,
है नहीं लय में अभी।
आंखें खुली तो है लेकिन
फासले घटे नहीं अभी।
निस्तब्ध है सभी।
मंशा दिखी नहीं अभी।
हसरतें घटी नहीं अभी
इसीलिए क्या से क्या हो गए सभी।
आरजू है बस अब यही
सत्य की पृष्ठभूमि पर आ जाए सभी।
अपना अस्तित्व बनाए रखें सभी
प्रकृति को फिर से प्रकृति बना दे सभी।
परिंदों को उड़ान भरने दें
बादलों को फिर से बरसने दें सभी।
सूखे, बाढ़ को कल की बात बनने दे
जीवन संजोग पर नहीं
हकीकत के पहियों पर चलने दे सभी।
प्रत्यक्ष प्रमाणों को नज़रअंदाज न करें कभी
नींव को खोखला कर आगे बढ़ता नहीं कोई कभी।
जुगनू की रोशनी में जगमगाता नहीं कोई कभी
अंतिम छोर से लौट आओ अभी।
खुशियों को यूं कैद में ना डालो कभी
हर उलझन को सुलझा लो अभी।
प्रकृति के साथ जीवन का दस्तूर बना लो सभी
फासले सभी हटा लो अभी।