बढ़ते कदम
बढ़ते कदम
राही है हम मंजिल के,
पहुँच जाएंगे एक न एक दिन।
माना कि है मुश्किल बहुत,
पर असंभव तो है कुछ भी नहीं।
गर ठान ले इंसान तो,
करले फतह हर चीज़ पर।
तोड़कर ये बेड़िया,
कर दे शुरु चलना अभी।
इंसान है तू यह सोच कर,
कर दे शुरु चलना अभी।
देख ले इतिहास अपना,
यूँ न खुद को कोश तू।
कर लेगा फतह हर चीज पर,
मन में अगर तू ठान ले।
लिए दृढ़ संकल्प और,
आत्मविश्वास मन में।
कर दे शुरु चलना अभी,
कर दे शुरु चलना अभी।