मेरी बारिश !
मेरी बारिश !
अच्छा लगता है मुझे
मेरे ना चाहते हुए भी तुम्हारा मुझे भिगो जाना
कि जैसे जानती हो तुम
कि मेरी ऊपरी निष्ठुरता
बस, तुम्हारे बरसने तक ही जीवित है
कि तुम्हारा बरसना
और मेरा पिघलना
निश्चित ही है !
अच्छा लगता है मुझे
तुम्हारा यह जताना
कि तुम्हारा अधिकार है मुझ पर
कि तुम्हारे भिगोए हुए मन पे
बलिहारी मैं भी जाऊँगा !
अच्छा लगता है
कि मेरी छतरी और तुम्हारी बौछारों की लड़ाई में
हार मेरी ही होगी
और मैं रह जाऊँगा सिक्त
तुम्हारी ठंडक के मनोभाव में !
अच्छी लगती हो तुम मुझे
मेरी बारिश !