माँगते हैं वो हमसे
माँगते हैं वो हमसे
माँगते हैं वो हमसे,
हमारे जिस्म का हिस्सा,
बनाते सुनाते, कहानी और किस्सा,
अनवरत बढ़ती जा रही है आशाएँ उनकी,
दिखाते रहते हमें गीदड़ की भभकी,
नहीं डरते हम किसी से भी कभी,
आजमाना चाहो तो, आजमा लो अभी।
जान लो मंगतो,
नहीं डरते हम,
आपकी अनवरत धमकियों से,
वीर रस व देशप्रेमी रुधिर प्रवाहित होता,
हमारी धमनियों से...
हृदय का हृदयाघात,
सहन कर सकते
पर एक भी टुकड़ा अपने,
जिस्म का नहीं दे सकते,
कट सकते हैं काट सकते हैं
इतना है हम में दम
डर जाएँगे तुम से
यह मत पालो भ्रम।
दुगल्ला व्यवहार,
दुगल्ले लोग हमें नहीं सुहाते,
आपकी तरह हम फालतू नहीं चिल्लाते,
हमें प्यारी है अपने देश की धूल और हर कूल।
लौट जाओ अपने वतन की ओर,
जी लेने दो हमें शांति से बना लेने दो ठौर,
क्या हमने कभी तुमसे,
पूछा तुम्हारा ठिकाना और ठौर,
क्यों ताकते रहते तुम हमें,
दोपहर शाम और भोर ?
कितनी भी अशांति फैला लो,
तुम हमारे बीच,
हम एक है एक ही रहेंगे,
नफरतों की दीवार न बढ़ने देंगे,
कभी किसी भाई का किसी भाई से,
ज्यादा दिन तक अबोल है देखा ?
खून का रिश्ता है हमारा और,
हाथों में है प्रेम की रेखा,
खुश नसीब है हम कि हमने,
चार चार ऊपर वालों को हैं पाया,
एक रुठा तो दूसरा है हम साया।
कुछ नहीं मिलेगा तुम्हें हमसे,
चले जाओ मेरे मुल्क से,
अपना आतंक और अपनी नफरत लेके,
टूट-टूट कर हम बहुत हो गए मजबूत,
अपनी-सी हैवानियत दिखाने को न करो मजबूर,
नहीं मिलेगा तुम्हें कुछ भी अब,
प्यार था प्यार है हमें अपने देश का सब।