कैसे हो प्यार की बारिश
कैसे हो प्यार की बारिश
कोई तो हल निकालो,
आग नफरत की ये बुझ जाए,
ये झगड़े और ये दंगे,
जड़ों से यार मिट जाएं l
हजारों हो रहे घायल,
आँधियाँ जब चली हैं ये,
हो कैसे प्यार की बारिश?
के उठती लपटें बुझ जाएं l
क्यों है हर हाथ में पत्थर,
जहर क्यों हर जुबां पर है,
बजाओ कान्हा फिर बंसी
प्रेममय हृदय हो जाएं l
देख कर दूसरों के दुख,
किसी को सुख का हो अनुभव,
के आओ अब रघुनंदन,
धरा से पाप मिट जाएं l