महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि
करो तिलक मिट्टी से भारत,
वीर तुझे अभिनंदन है।
वर्षा वारी गंगाजल और
यहाँ की माटी चंदन है।
मृत्यु आधी मिथ्या भी है,
अर्द्ध सत्य है जीवन अपना।
सृष्टि स्थिति विलय और क्या है
नहीं अगर शंकर का सपना।
धन्य तेरी भूमी है शंकर,
शिवमय यहाँ का कंकर कंकर।
मैं भी शिव का भक्त कहाऊँ,
भस्म से अपने तन को सनकर।
घट घट व्यापी महादेव का
हर पत्थर में स्पंदन है।
अमरनाथ के अमर वंशजों
आज तुम्हे अभिवादन है।
दिन का व्रत तुमने है रखा,
बिना अन्न या कौर लिए।
रात्रि को महादीपक आये,
संग प्रकाश का दौर लिए।