आप के
आप के
मेरे शेरों में हैं फ़लसफ़े आप के
दे दिये आप को जो लगे आप के
आँख में मेरी कुछ भी मेरा कब रहा
अश्क़ हैं आप के, ख्वाब थे आप के
ये सफ़र आप के ही हवाले किया
मंज़िलें आप की, रास्ते आप के
आँसुओं ने अगर आग रख दी यहाँ
ख्व़ाब जितने भी थे, सब जले आप के
लब सिले ही रहे आप की बज़्म में
बात मेरी सही, राज थे आप के
आग जितनी भी ली मेरे सीने से ली
दीप जितने जले, सब जले आप के
शेर कोई नहीं आप से अब अलग
जो सुने आप के, जो कहे आप के
रात को मैं ही तन्हा मुसाफ़िर न था
हर पहर साथ सपने चले आप के
आप के वास्ते ये करम हैं मेरे
हैं बुरे आप के हैं, भले आप के
इस अदालत में अपना भी कुछ काम है?
ज़ुर्म भी आप के, फ़ैसले आप के
ज़िंदगी अपने हिस्से की जी भी चुके
जो बचे हैं ये लम्हे, बचे आप के