मर्द का विलोम नहीं औरत
मर्द का विलोम नहीं औरत
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मर्दाना को क़तई न समझा जाऐ
जनाना का विलोम
अलबत्ता है स्त्रीलिंग मर्दाना का
विलोम बदल देता है अर्थ शब्दों के
खींचता है एक लक़ीर दो के बीच
कभी कॉपी पर
कभी हवा में
या पैदा करता है दरार
या खाई
या दो दिशायें
या दो सिरे चुम्बक के
हास्य और व्यंग्य के
बारीक़ मगर साफ़ फ़र्क़ सा है फ़र्क़
असल में स्त्री नहीं होती कभी पुरुष का विलोम
विलोम करता परिभाषित नामुमक़िन कोई सहअस्तित्व
हाँ जब स्त्री पुरुष से मिले और पुरुष हो जाऐ
या मिलकर पुरुष स्त्री से बन जाऐ स्त्री
तब निश्चित विलोम हो
ज्यों काला सफ़ेद
ज्यों दिन औ रात
ज्यों सच और झूठ
पर इनमेंं से एक सा भी नहीं रिश्ता औरत और मर्द का
इसलिए औरत मर्द का विलोम नहीं
ना मर्द औरत का