"दहशत के मंज़र"
"दहशत के मंज़र"
वही हवाऐं बारूदों की ,अबके किसकी बारी है ?
दिल सहमा -2 लगता है , दंगों की तैयारी है |
किस के घर आँगन में अब के कोई मातम छाऐगा ,
किसका बेटा दिन का निकला लौट के घर ना आऐगा ,
किसका अब सेंदुर उजड़ेगा , चूड़ी तोड़ी जाऐगी ,
किस बस्ती में क़फन दफ़न की चीज़ें जोड़ी जाऐंगी ,
किसकी बहना आँसू से मायूस का मुखड़ा धोऐगी ,
किसकी बेटी शव से लिपटी पापा - पापा रोऐगी,
किसकी साज़िश है ,ये मंज़र किसकी दावेदारी है ।
दिल सहमा -सहमा लगता है दंगों की तैयारी है ................ ॥१॥
खंडन की पीड़ा से जलती घाटी तुम्हें निहार रही,
भारत माँ की हृदयवेदना बेटों को धिक्कार रही,
फिर से अब गूँजेंगे नारे मस्ज़िद और शिवालों में,
मानवता का ख़ून लगेगा लाठी बर्छे भालों में,
फिर निकलेंगे आधे क़ातिल हाथों में त्रिशूल लिये,
आधे हथियारों संग अपने बेतरतीब उसूल लिये,
गौ हत्या ना रोक सके तो समझो ये गद्दारी है ।
दिल सहमा-सहमा,लगता है दंगों की तैयारी है.................... ॥२॥
आओ गीता और क़ुरान के हर्फ़ों को पढ़कर देखो,
अधिकारों का ध्यान तजो, कर्तव्यों पे अड़ कर देखो,
तब शायद समझोगे तुम ये मानवता का धर्म है क्या,
अपनों के खोने से जन्मा हृदयविदारक मर्म है क्या,
पशुओं सा व्यवहार रखा तो किस जन्नत में जाओगे,
अर्थहीन , मिथ्या सा जीवन जी कर तुम मर जाओगे,
नये दौर में मौत ब्याज सी,जीवन एक उधारी है
दिल सहमा -सहमा, लगता है दंगों की तैयारी है.................... ॥३॥