तकदीर की ज़िंदगी
तकदीर की ज़िंदगी
इस दुनिया में आया मेरी तकदीर से
क्या किया हम दुनिया में, यह मेरी तकदीर नहीं
क्या करूँ, अब मेरा ठिकाना नहीं
ज़िन्दगी संभालना मुश्किल की बात है।
जो मैंने सोचा था, वो नहीं हुआ
लोगों से फँस गया, मेरा जीवन विधान
मेरा रास्ता हो न सका दुनिया के लिये
जाना ही होगा अब जिंदगी के साथ।
इस दुनिया में मन बदलता है रंगों की तरह
कया कहूँ, रंग और मन देखते हैं प्यार को पागल की तरह
कहते हैं इंसां को, तू इंसान ही नहीं
धोखे में गिर जाते हैं, रंगीन चक्रों में।
यह ज़िंदगी, क्या ज़िन्दगी है अपनी
मुन चलता ज़मीन से आसमान तक
यह खेल की ज़िन्दगी है, पागल होने की
होती है, इस ज़िन्दगी में तकदीर से मिलावट।।
~~~~~~~~~~~~