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Nisha Nandini Bhartiya

Tragedy

5.0  

Nisha Nandini Bhartiya

Tragedy

अरे! तुम कौन हो

अरे! तुम कौन हो

1 min
530


चलते-दौड़ते-भागते

अपना सब कुछ लुटाते

भूखे पेट पटरियों पर सोते

मन पर बोझ लिए

मन भर बोझा ढोते

अरे ! तुम कौन हो ?


सघन शीत में ठिठुरते

गरम ग्रीष्म में पिघलते

कठोर वर्षा से मचलते

मन पर बोझ लिए

मन भर बोझा ढोते

अरे ! तुम कौन हो ?


दाने-दाने को मोहताज

नहीं कोई श्रृंगार साज

चिथड़ों में छिपाते लाज

मन पर बोझ लिए

मन भर बोझा ढोते

अरे ! तुम कौन हो ?


टुकड़ों पर पलते धनी वर्ग के

पल-पल छलते वे तो जग से

पी जाते घूंट आँसुओं का वे

मन पर बोझ लिए

मन भर बोझा ढोते

अरे ! तुम कौन हो !


पेट की आग बुझाने को

घर परिवार चलाने को

जीवन भर मुस्काने को

मन पर बोझ लिए

मन भर बोझा ढोते

अरे ! तुम कौन हो ?


बनाकर महल दुमहले तुम

पग-पग ठोकर खाते तुम

भूखे-प्यासे रह जाते तुम

मन पर बोझ लिए

मन भर बोझा ढोते

अरे ! तुम कौन हो ?


दुनिया टिकी तुम्हारे दम पर

कल-कारखाने तुम्हारे श्रम पर

करती गर्व भारत माँ तुम पर

मन पर बोझ लिए

मन भर बोझा ढोते

अरे ! तुम कौन हो ?


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