Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

manasvi poyamkar

Romance

5.0  

manasvi poyamkar

Romance

महफूज़ हो

महफूज़ हो

1 min
1.6K


मेरे इश्क की तड़प समझोगे क्या

तुम तो रुह के साये में महफूज़ हो

सांसों के अंगारों से उलझोगे क्या

तुम तो बांहों में महफूज़ हो

तुम वक्त से मेरे दूर जाओगे कहाँ

हर गुजरते लम्हे में महफूज़ हो

मेरी दुआ से ख़ुद को बचाओगे कैसे

हर आयत के लफ़्ज़ों में महफूज़ हो...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance