Sanjay Pathade Shesh
Drama
लड़का
लड़की के
पीछे-पीछे जा रहा
और पीछे
पीछे, पीछे जा रहा।
रेवड़ी
जनप्रतिनिधि
अजब दौर है
आदत
श्रद्धा बनाम ...
मोहरा
मोहरे
विश्वास
आश्वासन
हाइकू रचनायें
ऊंचे पहाड़ों के ठंडे दर्द अपनी पुकार से बांध लेते है ऊंचे पहाड़ों के ठंडे दर्द अपनी पुकार से बांध लेते है
कभी जरा सी हवा चली तो बिखर जाता है सपनों का महल l कभी जरा सी हवा चली तो बिखर जाता है सपनों का महल l
ख्वाब देखना भी हिम्मत वालों का शौक है वह जो परछाइयों पीछा करके खुश है। ख्वाब देखना भी हिम्मत वालों का शौक है वह जो परछाइयों पीछा करके खुश है।
अतृप्त इच्छाओं का पागल बवंडर समझा है जिसे तुमने पास आकर देखो अतृप्त इच्छाओं का पागल बवंडर समझा है जिसे तुमने पास आकर देखो
किस शांति की तलाश में घाट घाट भटकता है हूं ये कैसा योगी मैं और किस योग में हूं मगन किस शांति की तलाश में घाट घाट भटकता है हूं ये कैसा योगी मैं और किस योग में हू...
जिन्हें शब्दों-वर्तनी-प्रोत्साहन से रचना-सार ने सींचा हो। जिन्हें शब्दों-वर्तनी-प्रोत्साहन से रचना-सार ने सींचा हो।
तू हिम्मत न हार, मन छोटा ना कर, मन को अपने सुमेरु बना l तू हिम्मत न हार, मन छोटा ना कर, मन को अपने सुमेरु बना l
अंदर और बाहर एक जैसे ही चेहरे है, हमारे पर इंसानी फ़ितरतों से गर्दिश में है, अंदर और बाहर एक जैसे ही चेहरे है, हमारे पर इंसानी फ़ितरतों से गर्दिश में है,
आकर ख़्वाबों में यूँ रोज-रोज तूम.. और इस दिल को बेक़रार न कर आकर ख़्वाबों में यूँ रोज-रोज तूम.. और इस दिल को बेक़रार न कर
एहसासों की हत्या कर, सब कुछ पराया करना, एहसासों की हत्या कर, सब कुछ पराया करना,
चलना-जाना अकेले हर पल, जग मेला निर्जन, बंजर, हर भाव से खाली है चलना-जाना अकेले हर पल, जग मेला निर्जन, बंजर, हर भाव से खाली है
पर तू क्यों नहीं समझ रहा कि मेरी दिल की राह पर अब तू है। पर तू क्यों नहीं समझ रहा कि मेरी दिल की राह पर अब तू है।
जैसे आधार नंबर मात्र एक डेटा है.... एक शरीर का...एक वोट का.... जैसे आधार नंबर मात्र एक डेटा है.... एक शरीर का...एक वोट का....
जहाँ झुकी पलकों के सायों तले और बेमन सी मुस्कान पर लोग रीझ जाते जहाँ झुकी पलकों के सायों तले और बेमन सी मुस्कान पर लोग रीझ जाते
हाँ कोमल हूं मैं फूल सी और एक पंख सी नाजुक हूँ पर नाम आए परिवार का तो सबसे लड़ जाती है हाँ कोमल हूं मैं फूल सी और एक पंख सी नाजुक हूँ पर नाम आए परिवार का तो सबसे लड़...
उस लम्हे में मैंने देखा है मौत को... बहुत करीब से जिया है उन लम्हों को तिल तिल कर के उस लम्हे में मैंने देखा है मौत को... बहुत करीब से जिया है उन लम्हों को ...
लोग स्वार्थ के लिये निभाते रिश्ते चार है। लहू-रिश्ते में भी क्या ख़ूब पानी की बहार है। लोग स्वार्थ के लिये निभाते रिश्ते चार है। लहू-रिश्ते में भी क्या ख़ूब पानी की ...
मौज बनाते, होती, बचपन की सुंदर कितनी याद। मौज बनाते, होती, बचपन की सुंदर कितनी याद।
बादलों की तरह कल फिर आओगे शायद इस गलतफहमी में थे बादलों की तरह कल फिर आओगे शायद इस गलतफहमी में थे
रह रह कर आईने में बूंदों की जगह झलक जाता है माँ रह रह कर आईने में बूंदों की जगह झलक जाता है माँ