कई बार
कई बार
कई बार
इन दस्तकों से
निराश
कई बार
फिर कर मेहनत
जो मैंने
निहारा
गिरती - पड़ती
साँसों का
कई बार
फिर लेकर सहारा
कई बार
इन दस्तको से
निराश
कई बार
यही एहसास
यही प्यास
उथल-पुथल
मचाते रहे
कई बार
अभाव,तरस
मेरे मन,अन्तर्मन
को भटकाते रहे
कई बार
इन दस्तकों से
निराश
कई बार
इन खुली आँखों से
चारो तरफ
भ्रम ही भ्रम समाया
कई बार
झूठा यकीन खुद को कि
मैंने "ही"
तुमको पाया
कई बार
इन दस्तकों से
निराश।