हम दीवानों की बात मत पूछो जी
हम दीवानों की बात मत पूछो जी
हम दिमाग से ज्यादा दिल से सोचते हैं
इसलिए हर बार नाकामयाब होते हैं
हम चाहते हुए भी चुप नहीं रह सकते
हम दीवानों की बात मत पूछो जी।
इंसान के दुःखदर्द से हम तिलमिला उठते तो हैं
पशु, पंछी, कीड़े, मकोड़े का भी दर्द महसूस करते हैं
दिन-रात सोते जागते हम सबका भला चाहते हैं
हम दीवानों की बात मत पूछो जी।
जाने कौनसी शक्ति हैं जो हमें लिखने की प्रेरणा देती रहती है
चलो उठो जागो लिखो .. पूरी दुनिया को जगाओ कहती है
आखिर क्यों ? हर वक्त क्यों बेचैनी महसूस होती है
हम दीवानों की बात मत पूछो जी।
हमें तो लिखना है, लिखेंगे, लिखते रहेंगे हमेशा हर वक्त
चाहे कुछ भी हो हर हाल में इंसानियत का अलख जगाना है
हमें पाना हैं वह मंजिल जिसके लिए खुदा ने हमें भेजा हैं
हम दीवानों की बात मत पूछो जी।