बारिश में नदियों
बारिश में नदियों
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उफनाती नदियाँ
रस्ते हर गाँव से ।
रौदती है जाती
अपने ही पांव से ।
तूफानी बरसा है
हवा भी तूफानी है
चारो तरफ दिखता है
बस पानी ही पानी है ।
ताल और तलैयाँ
भर गये लबालव ।
झरने वह रहे है
कल कल कलरव ।
मेड़ो के सीने पर
चल करके गोरी ।
जा रही कहाँ पर
गाती हुई लोरी ।
कीचड़ में पाँव सने
कही थोड़े कही घने ।
पायल की छम छम
बजती नही है ।
मिट्टी से पोर पोर
पैरो मे सनी है ।
यही तो है जिन्दगी
अपने ही गांव में
मस्त मस्त हवा चली
अम्बर की छाँव में ।।
बारिश में नदियों में
पानी ही पानी ।
खेतो में हरियाली है
धानी ही धानी ।