Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Karnica Banga

Others

0.2  

Karnica Banga

Others

माँ

माँ

1 min
6.6K


तुम्हारे कितने रूप है माइयाँ 

कभी काली तो कभी कृष्ण कन्हैया

 

तू हर जगह समाई है 

तुम्हें याद कर मेरी आँख भर आयी है 

 

तू ही है जिसने मुझे सम्भाला 

मैंने पूजा है तुम्हें जैसे नंद गोपाला

 

तू जगतजननि, तू दुःख हरनी

तूने ही मेरी हर ज़िद है पूरी करनी 

 

तू ना होती तो क्या होता मेरा 

कौन सिखाता मुझे क्या रात क्या सवेरा

 

तुमने मुझे हर मुश्किल से बचाया है 

समय पे मुझे एहसास दिलाया है 

 

ऐ माँ कभी हाथ ना मेरा छोड़ना तुम 

कहीं इस भीड़  में मैं हो ना जाऊँ गुम 

 

तुमने ही तो आगे बढ़ना सीखाया है

जीत के क़ाबिल मुझे बनाया है

 

क्षमा चाहती हूँ हर ग़लती के लिए 

और हर वो ग़म जो तुझे दिए 

 

माफ़ करना मेरी हर ग़लती को

वो तो तुम हमेशा से ही करती हो

 

तुम्हारे बिना कोई ज़िंदगी नहीं

छोड़ ना जाना मुझे कहीं 

 

 

मेरी माँ तुम ना होती तो क्या होता मेरा?


Rate this content
Log in

More hindi poem from Karnica Banga