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Salil Saroj

Children Stories Tragedy

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Salil Saroj

Children Stories Tragedy

अभ्यारण्य का हाथी

अभ्यारण्य का हाथी

1 min
277


नगाँव,अमगुरी गाँव,अंजुलपानी

दुर्योधन की भाँति जलमग्न हैं।


घर लाखगृह की तरह जला दिए,

या शिशुपाल की धर की तरह कट गए।


मैं अपने बच्चों के साथ कुंती की तरह,

बेघर खड़ा हूँ नैराश्य का घूँट पिए।


कभी मानसून, कभी ब्रह्मपुत्र, कभी तस्कर,

अभिमन्यु सा घिर जाता हूँ अपने हर्ताओं के बीच।


मजबूर हूँ बचाने को अस्तित्व अपना,

भिड़ जाता हूँ अर्जुन सा गांडीव लिए हुए।


अपने नन्हें बच्चों की लाशें सड़ते देखता हूँ,

अश्वतथामा की याद में द्रोण सा चिल्ला उठता हूँ।


मुझे पहचानो और मुझे बचा भी लो,

मैं किसी अभ्यारण्य का हाथी हूँ।


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