आ जाओ तुम
आ जाओ तुम
वो ख्वाब, जो संग देखे थे उनकी रंग-बिरंगी तितलियों को
कांच के मर्तबान में रख के कर दिया है बंद
देखना कि इनके दम तोड़ने से पहले आ जाओ तुम !
वो बारिश, जिस में पहली बार देखा था तुमने मुझे
उसकी कुछ बूँदें अटकी हैं मेरे बालों में अब तक
देखना कि उनके सूखने से पहले आ जाओ तुम !
वो सुबह का सूरज, जो परदे खुलते ही सिमट जाता था गालों पे
उसका कुछ उजाला चेहरे पे छूट गया है शायद
देखना कि इस दिन के ढलने से पहले आ जाओ तुम !
वो छुअन तुम्हारे होंठों की, जो बिखरती थी मेरे माथे पे हर रोज़
उसकी महक को बड़े जतन से सहेजा है अभी तलक
देखना कि इस इत्र के उड़ने से पहले आ जाओ तुम !
वो ख्वाब, वो बारिश, वो सुबह, वो छुअन
और तुम्हारे आने का यक़ीं
समय की अग्नि सी परिधि में तप रहे हैं
देखना कि यक़ीं टूटने से पहले आ जाओ तुम !
देखना कि आ जाओ तुम .. ज़रा जल्द ही ।।