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Shailly Shukla

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Shailly Shukla

आ जाओ तुम

आ जाओ तुम

1 min
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वो ख्वाब, जो संग देखे थे उनकी रंग-बिरंगी तितलियों को

कांच के मर्तबान में रख के कर दिया है बंद

देखना कि इनके दम तोड़ने से पहले आ जाओ तुम !


वो बारिश, जिस में पहली बार देखा था तुमने मुझे

उसकी कुछ बूँदें अटकी हैं मेरे बालों में अब तक

देखना कि उनके सूखने से पहले आ जाओ तुम !


वो सुबह का सूरज, जो परदे खुलते ही सिमट जाता था गालों पे

उसका कुछ उजाला चेहरे पे छूट गया है शायद

देखना कि इस दिन के ढलने से पहले आ जाओ तुम !


वो छुअन तुम्हारे होंठों की, जो बिखरती थी मेरे माथे पे हर रोज़

उसकी महक को बड़े जतन से सहेजा है अभी तलक

देखना कि इस इत्र के उड़ने से पहले आ जाओ तुम !


वो ख्वाब, वो बारिश, वो सुबह, वो छुअन

और तुम्हारे आने का यक़ीं

समय की अग्नि सी परिधि में तप रहे हैं

देखना कि यक़ीं टूटने से पहले आ जाओ तुम !



देखना कि आ जाओ तुम .. ज़रा जल्द ही ।।


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