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Prem Sahil

Others

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Prem Sahil

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गुज़र कर लें किफ़ायत से, समझदारों की बातें हैं

गुज़र कर लें किफ़ायत से, समझदारों की बातें हैं

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गुज़र कर लें किफ़ायत से, समझदारों की बातें हैं

लें जो साँस भी गिन कर, मेरे यारों की बातें हैं

कभी सुन करके कर दे हैं इधर की उधर भी लेकिन

कभी कर लें हैं कान बन्द, दीवारों की बातें हैं

डुबो दें हैं किसी को जी में आता है अगर उनके

लगा दें हैं किसी को पार, मझधारों की बातें हैं

नहीं है मन तो कर दे हैं मना करने से, राजा को

झुकें ना धौंस के आगे, ये फ़नकारों की बातें हैं

बिना पे रंगो-बू के फ़र्क क्या होता है ना जानें

न परखें ज़ात फूलों की, ये गुलज़ारों की बातें हैं

लुटा देते हैं लाचारों पे जो भी पास है उनके

न कुछ माँगे हैं बदले में, ये दिलदारों की बातें हैं

नहीं करते हैं कोई फ़र्क रंगो-ज़ात का साहिल

गले छोटे बड़े मिलते हैं, मैख़्वारों की बातें हैं।


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