ख़ुदा का बँटवारा
ख़ुदा का बँटवारा
कौन होते है वो लोग
जिनके अपने ख़ुदा होते हैं
क्या ख़ुदा भी अपने
और पराए हुआ करते हैं?
क्या ख़ुदा का भी
बँटवारा होता है?
क्या जन्नत में भी
हमारा तुम्हारा होता है?
रौशनी को अंधेरा
कब छुपा सका है?
प्यार को दर्द नहीं,
मक़बरा भी नहीं!
ख़ुदा तो ख़ुदा होता है!
चाहे झोपड़ियों में हो,
चाहे शीशमहल में!
चाहे मंदिरों में,
चाहे खंडहरों में!