माँ
माँ
माँ ऐसा कुछ नहीं,
जो तेरी ममता के समतुल्य है!
मुझ पर तेरा प्रेम, तेरा कर्ज अतुल्य है!
धूप में सदा तू छाँह की तरह रही ,
पापा की डाँट से बचाने वाली ढाल की तरह रही!
मेरी दुख की घड़ियों में सुख के सुर और मधुर ताल की तरह रही!
अपनी हर ख्वाहिश को दबा कर,
मेरी हर ख्वाहिशों को पूर्ण किया!
मुझे चेतना दी, ज्ञान दिया
हर तरह परिपूर्ण किया!
मान सम्मान और स्वाभिमान से
जीने की कला सिखाई!
मेरे बहकते कदमों को
सही राह दिखाई!
तुझसे दूर होने पर एक खालीपन का
एहसास होता है मुझे!
फिर भी सदा आसपास
तेरे साये का आभास होता है मुझे!
माँ..तेरी हर बात शिरोधार्य है!
तेरा होना,
मेरी जीवन्तता के लिए अपरिहार्य है!
माँ तेरा कोई सानी नहीं!
तेरी ममता के आगे
प्यार की कोई कहानी नहीं!
माँ...
तुझे शत् शत् नमन
तुझे शत् शत् नमन..